Friday 11 February 2011

प्रकृति का प्रतिबिम्ब है नारी


सूरज सी तपती है नारी

गगन सी झुकती है नारी

पवन सी चलती है नारी

प्रकृति का प्रतिबिम्ब है नारी

गंगा सी छलकती है नारी

फूलों सी महकती है नारी

बादल सी बरसती है नारी

प्रकृति का प्रतिबिम्ब है नारी

धरती सी सहती है नारी

वृक्षों सी फलती है नारी

धूप-छाँव सी ढलती नारी

प्रकृति का प्रतिबिम्ब है नारी

शूलो से गुज़रती है नारी

रंगों सी निखरती है नारी

खुशबू सी बिखरती है नारी॥

प्रकृति का प्रतिबिम्ब है नारी

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