Saturday 2 April 2011

''एक सच्ची दास्तां ''


उनकी आँखों में छलकता दर्द,

लरजते आंसू,बिखरते शब्द

मानों कुछ कह रहे है

मगर लब साथ नहीं दे रहे,

लड़खड़ाते कदम, मुरझाया बदन,

सिमटती सांसे,धड़कता दिल

मानों कुछ कह रहा है, मगर किसे कहे,

तड़फते अरमान, अनसुलझे सवाल,

दबी-दबी आह, सूनी-सूनी राह

मानों ढूँढ रही है किसी अपने को

मगर कोई अपना नहीं,

वो बेबसी और लाचारी से निहार रहे है,

सामने बने बंगले की ओर,

भींग रही है आँखों की कोर,

सबसे बेख़बर कि कोई

उनके चेहरे पर उभरती हुई

संवेदनाओ को बड़ी संजीदगी से देख रहा है,

मेरा अंतर्मन तड़फ उठा, मै पास गई ओर बोली-

बाबा आप तन्हा ओर खामोश कब से

उस बंगले की ओर उम्मीद लगाये बैठे है,

क्या जान सकती हूँ.. मै दर्द आपका ?

बाबा ने ख़ामोशी तोड़ी और

एक लम्बी आह भरके बोले..

बेटा वो बंगला कभी मेरा था,

जिसमे खुशियों का बसेरा था,

मेहनत से बच्चों को पाला था,

बिन माँ के ही संभाला था,

लेकिन आज वक़्त ये आया है,

अपनों से ही धोखा खाया है,

सोच रहा हूँ.. क्या इसी दिन के लिए

इंसान औलाद चाहता है,

उनकी खुशियों की खातिर

खुद की खुशियाँ लुटाता है,

आंसू छलक पड़े बूढ़ी आँखों से,

लाठी लुढ़क गई हाथो से, बोले-

अगर बुढ़ापे का अंजाम है यही तो

आख़िर क्यों चाहते है संतान सभी....

उनकी दर्द भरी दास्तां सुनकर

मै निरुत्तर हो गई .....

11 comments:

  1. निरुत्तर ! शुभागमन...!
    कामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में सफलता के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या उसी अनुपात में बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । प्रमाण के लिये आप नीचे की लिंक पर मौजूद इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का माउस क्लिक द्वारा चटका लगाकर अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और आगे भी स्वयं के ब्लाग के लिये उपयोगी अन्य जानकारियों के लिये इसे फालो भी करें । आपको निश्चय ही अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...

    नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.

    युवावय की चिंता - बालों का झडना ( धीमा गंजापन )

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  2. संवेदना से भरपूर शब्द चित्रण. बधाई.

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  3. बहुत सुंदर....!!

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  4. aaj ki dhara hi aisi bah rahi hai par fir bhi aaj santan ke loye log mandir , masjid , gurdwara or church me jaate ek santan ki kaamna karte hai par unko ye nahi pata ki yahi santan ek aapke dukh ka karna ban jaayegi par vahi baat thoda sa sukh ke liye ham apni sari jindgi barbaad karne ke tayar hai aapki ish kaveeta me jo dukh chalak raha hai ushko to sabdo me kah likh pana bhi mushkil hai kafi achcha chitran kiya hai aapne

    B.R.GUPTA

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  5. The way you have linked every line from the other, made this poem truly stand outstanding.

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  6. LAJWAB. BAHUT KHUB. BADE DARD K SAATH SOCHNE KO MAJBUR KARTI HAI AAPKI LEKHNI K EK-EK SABD.
    BAHUT-BAHUT BADHAI.........MANILA PORWAL

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  7. thanx...shushil ji..aapke vicharo ka ham samman karti hu..

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  8. dhanywad...harshj vardhan ji....

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  9. thanx ...dinesh ji, gupta ji..

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  10. thanx ...yasin ji, dr. kamal ji...

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