Monday 22 November 2010

''दर्द कविता रचता है''

चेहरे पर मुस्कान बिखेरे

दर्द तो दिल में रहता है,

लब रहे खामोश मगर

अंदाज़ तो सब कुछ कहता है,

हंसती हुई पलकों में भी

गम का बादल रहता है,

तूफ़ानी मंज़र से गुज़र कर

दर्द का दरियाँ बहता है,

तपकर दर्द के शोलों में

अरमां दिल का निखरता है,

दर्द के आंसू की स्याही से

हर शब्द कविता बनता है....

6 comments:

  1. दर्द को बहुत अच्छे से कविता में उतार दिया आपने...

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  2. दर्द के आंसू की स्याही से
    हर शब्द कविता बनता है.
    सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी...

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  3. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति

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  4. thanx pooja ji, sunil ji, sanjay ji

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  5. रेनू जी आपकी कविता ''दर्द कविता रचता है'' दिल में तीर के तरह उतर गयी, इसका जवाब शायद यह हो सकता है:

    सपने सारे अपने तोड़ कर बैठे हैं,
    दिल का अरमान छोड़ कर बैठे हैं,

    अब ना कीजिये हमसे वफ़ा की बातें,
    अभी दिल के टुकड़े जोड़ कर बैठे हैं..!

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