अरमानो की सेज पर एक सिसकती आह,
आसमान को छूने की फिर भी अटूट चाह,
अपने अस्तित्व को पाने की ढूँढती है राह,
कितनी सुन्दर कितनी न्यारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
जग भर के शोषण की मारी ,
रिश्तों के चक्र में घूमती नारी,
तोड़ चुकी अब जंजीरे सारी,
कभी न थकती कभी न हारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी,
बेदर्द जहां में वफ़ा निभाती,
घर और देश पे राज चलाती,
प्रलय बनकर झूंजती जाती,
हर कष्टों से लडती नारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
दुनियां की तकदीर है नारी,
ममता की तस्वीर है नारी,
त्याग और बलिदान है नारी,
कितनी पावन कितनी प्यारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
अब इंतज़ार है इंतकाम का नारी की आँखों को,
पुरूषों के अहम् को मिटाके जों खोल दे अपनी पांखो को
जिसने नारी के वज़ूद पर अधूरी छाप लगाईं है,
नारी के कोमल हर्दय में विद्रोह की ज्वाला जलाई है
मिलेगा एक दिन हक़ नारी को सबने कसम ये खाई है
धरती क्या अम्बर भी झुकेगा, ये सदियाँ अब वक़्त हमारा लाई है.
आसमान को छूने की फिर भी अटूट चाह,
अपने अस्तित्व को पाने की ढूँढती है राह,
कितनी सुन्दर कितनी न्यारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
जग भर के शोषण की मारी ,
रिश्तों के चक्र में घूमती नारी,
तोड़ चुकी अब जंजीरे सारी,
कभी न थकती कभी न हारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी,
बेदर्द जहां में वफ़ा निभाती,
घर और देश पे राज चलाती,
प्रलय बनकर झूंजती जाती,
हर कष्टों से लडती नारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
दुनियां की तकदीर है नारी,
ममता की तस्वीर है नारी,
त्याग और बलिदान है नारी,
कितनी पावन कितनी प्यारी,
फिर क्यों अधूरी आज की नारी.
अब इंतज़ार है इंतकाम का नारी की आँखों को,
पुरूषों के अहम् को मिटाके जों खोल दे अपनी पांखो को
जिसने नारी के वज़ूद पर अधूरी छाप लगाईं है,
नारी के कोमल हर्दय में विद्रोह की ज्वाला जलाई है
मिलेगा एक दिन हक़ नारी को सबने कसम ये खाई है
धरती क्या अम्बर भी झुकेगा, ये सदियाँ अब वक़्त हमारा लाई है.
"धरती क्या अम्बर भी झुकेगा,
ReplyDeleteये सदियाँ अब वक़्त हमारा लाई है"
हार्दिक शुभकामनाएं
स्वागत है आपका । और एक प्रभावी रचना से आगाज़ करना पसंद आया । बहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteइसे जारी रखें। शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!!
ReplyDeletebahut khubsurat rachna.hai aapki........
ReplyDeleteachchha likha hai aapne, badhai aur welcome to bloggers world. pls do keep writting
ReplyDeleteइंतकाम की बातें! वाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteशानदार आगाज ,स्वागत है ब्लाग जगत में ।
ReplyDeleteकृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
क्या आप हमारीवाणी.कॉम के सदस्य हैं?
ReplyDeleteजल्द ही आ रही है ब्लॉग लेखकों के अपनी वाणी "हमारीवाणी":
http://hamarivani.com - हिंदी ब्लॉग लेखों का अपना एग्रिगेटर
स्वागत है आपका । शानदार आगाज बहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपके ब्लोग पर आ कर अच्छा लगा! ब्लोगिग के विशाल परिवार में आपका स्वागत है! अन्य ब्लोग भी पढ़ें और अपनी राय लिखें! हो सके तो follower भी बने! इससे आप ब्लोगिग परिवार के सम्पर्क में रहेगे! अच्छा पढे और अच्छा लिखें! हैप्पी ब्लोगिग!
ReplyDeletebehn renu aapne chnd alfaazon men bhut kuch khaa he lekin bs aek shikaayt he ke aaj koi naari adhuri nhin he. akhtar khan akela kota rajsthan mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteaap sabhi ke protsaahanke liye mai dil se aabhari hun....danyawaad
ReplyDeleteअब तो हर तरफ खिले हें तेरी यादों के गुलाब,
ReplyDeleteदिल के इस वीराने में यह बात कहाँ थी पहले..!
बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति. आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा.. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है... हिंदी ब्लागिंग को आप नई ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है....
ReplyDeleteइंटरनेट के जरिए घर बैठे अतिरिक्त आमदनी के इच्छुक ब्लागर कृपया यहां पधारें-
http://gharkibaaten.blogspot.com
aapne meri kekhni ko saraha or mera utsaah vardhan kiya uske liye mai dil se aabhri hun.
ReplyDeletedanyawad