Saturday 29 May 2010

उम्मीद


उम्मीद ही दुःख का कारण है,
उम्मीद पे दुनियां कायम है,
उम्मीदों से रिश्ते बनते,
उम्मीदों से घायल है,
उम्मीद के दामन में सुख -दुःख है,
आशा और निराशा भी ,
उम्मीद के दम पर दुनियां समझे
उम्मीदों की भाषा भी,
उम्मीद रोशनी उम्मीद अँधेरा,
उम्मीद है सपना जीवन का,
उम्मीद बिखेरे उम्मीद समेटे
रिश्ता तन मन और धन का,
उम्मीद से राहत उम्मीद से चाहत,
उम्मीद से है पतझड़ और बसंत भी,
उम्मीद से मंज़र उम्मीद से मंजिल
उम्मीद से आदि और अंत भी,
मायूसी के आलम में इंसां
उम्मीदों का कातिल भी बन जाता है,
जिए गर उम्मीद के बल पर तो
कष्टों में ये साहिल भी बन जाता है,
उम्मीद सा नहीं मित्र है कोई
उम्मीद है दर भगवान का,
टूट जाये गर उम्मीद की डोरी तो
जीवन बन जाता वीरान सा,
उम्मीद की ताकत ऊँचे पर्वत को भी हिला देती,
उम्मीद की निगाहें अम्बर को भी मिला देती,
उम्मीद अगर दिल में है तो कुछ भी नहीं नामुमकिन है,
उम्मीद की कश्ती गहरा सागर भी पार करा देती

2 comments:

  1. Poem of yours tries to respell life's enigma that "hope sustains life".But at the same time its true that a millions of poor never find there hope to be realized in knwon history of man without unity and struggle. Words are the of your mind. Great work.

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