Friday 13 August 2010

''गौमाता की चीत्कार''


एक दर्द भरी चीत्कार चली गर्दन पर कट्टार,
दिल न दहला मानवता का देख गौमाता पर वार,
जाने क्या हो गया है आज के इस इंसान को,
अपनी क्रूर कट्टार से धोखा दे रहे भगवान को,
हर तरफ हें रक्त रंजित धरती पर सिसकारियां,
भारत माँ चीत्कार रही इंसा की देख हैवानियाँ,
जिस देश में गौमाता को आदर से पूजा जाता है,
आज उसी भूमि पर उनको बेदर्दी से मारा जाता है,
न जाने इंसान में क्यों इतनी दानवता भर गई,
पशुओं से तुलना क्या करे सबकी मानवता मर गई,
मूक बेकसूर पशुओं पर कोई कट्टार चलाये ना
सबको हक़ है जीने का ये बात कोई भुलाये ना,
जियो और जीने दो के सिद्दांत को अपनाये हम,
अहिंसा को अपनाकर गौमाता को बचाए हम.

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