Saturday 31 July 2010

जीवन अर्पण कर जाऊं

इंतज़ार है उन राहो का,
जिनसे अम्बर छू जाऊं,
खुशियाँ समेटू सबके ,
लिए और धरती पर मै ले आऊं,
दुखी जनों की पीड़ा में,
सुख की छावं मै बन जाऊं,
कभी उजड़े चमन किसीका ,
ऐसा गाँव मै बन जाऊं,
वतन हमारा स्वर्ग बने,
मै वो फुलवारी बन जाऊं ,
मुस्कान रहे हर चेहरे पर,
ये स्वर्णिम स्वप्न सजाऊ,
दिल टूटे कभी किसीका,
ऐसा बंधन बन जाऊं ,
नफरत का अँधेरा रहे जग में,
स्नेह से रोशन दीप जलाऊं,
तेरा जीवन तुझको अर्पण,
तेरे लिए मै कर जाऊं ,
तन- मन रहे समर्पित मेरा,
खुद को न्योछावर कर जाऊं.......

2 comments: