Monday 12 July 2010

''वक़्त''


वक़्त फ़साना है जीवन में साँसों की रफ़्तार का,
कभी राहों में कांटे है तो कभी है दामन प्यार का,
वक़्त की शतरंज पर बिछा है खेल इस संसार का,
वक़्त ही करता फैसला कभी जीत कभी हार का.
वक़्त से उम्मीदे अपनी वक़्त के साथ है आशाए,
वक़्त के साथ दौड़ हमारी वक़्त के साथ है बाधाए,
वक़्त फूल है उपवन का खिलकर फिर ये मुरझाए,
वक़्त शूल है जीवन का कब सीने में चुभ जाए.
वक़्त की इन आंधियो में अपना सब खो जाता है,
एक बार जो बीत गया फिर लौट के आता है,
वक़्त गुजर जाता है बस सपना सा रह जाता है,
वक़्त मिलाता है सबको वक़्त जुदा कर जाता है.
वक़्त के इशारों पर चलते है सूरज चाँद सितारे भी,
रात दिवस है वक़्त की नैमत पतझड़ और बहारे भी,
वक़्त के आगे सब बेबस है राजा रंक जहान भी,
वक़्त बनाये किसी को दानव कोई बनता भगवान भी,
वक़्त किसे कब कहाँ ले जाये वक़्त का पलड़ा भारी है,
किसे कब ये दगा दे जाये सारी दुनिया इसकी मारी है,
वक़्त के साथ चलते रहे तो बेशक जीत हमारी है,
छूट जाये वक़्त थामले दौलत यहीं हमारी है
.वक़्त यही सिखाता हमको आओ हम ये पाठ ले,
हर पल है अनमोल हमारा जीवन यूहीं काट ले
वक़्त से सुख-दुःख और ख़ुशी गम आओ मिलकर बाँट ले,
वक़्त की गठरी से आओ हम अपनी खुशियाँ छांट ले.

5 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति
    एक सलाह : कृपया अपनी पोस्ट के फांट थोड़ा बड़ा रखें तो पढने में सुविधा होगी

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  2. bhavuk aur satya bhi , ati sunder mishran .

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  3. ek iltija - एक सलाह : कृपया अपनी पोस्ट के फांट थोड़ा बड़ा रखें तो पढने में

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  4. Aapne waqt laga kar itni sunder rachna waqt k uper likhi, jise pad kar hamara waqt accha wyateet ho gaya..................
    aap isi prakaar likhne ka waqt nikaalti rahe................. Keep writing

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  5. ji aap sabhi ko danyawad

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