आज बैठे है पलके बिछाये
कल न मिले तो गम ना करना
आज वफ़ा करते है तुमसे
कल न करे तो दम ना भरना
आज देखते राह तुम्हारी
कल न रुके तो गम ना करना
आज नेह के दीप जले है
कल ये उजाला कम नाकरना
आज बसे है आँखों में हम
कल अश्को में बहा के नम ना करना
आज मिलन की चाह है तुमसे
कल बिछड़ गए तो सितम ना करना
जहाँ रहो खुश रहो मगर
कभी हमसे बेवफाई तुम ना करना
nice poem
ReplyDeleteप्रशंसनीय ।
ReplyDeletevery well said...relly touchy renuji...again LOL
ReplyDeleteshukriya sathiyo..aapke protsahan ke liye..
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