Wednesday 30 May 2012

"हर पन्ने को सहेजा है"


पन्नो में बिखरे अरमान मेरे, और हर पन्ने को सहेजा है, उनमे बसी मेरी धड़कन और, हर शब्द-शब्द में लहजा है, दर्द ख़ुशी सब उनमे सिमटा, मन जब तन्हाई में उलझा है, लिख-लिखकर कई बार मिटाया, भावो का द्वंद्ध फिर सुलझा है, हर पल स्याही से कैद किया, हर उलझन को बूझा है, मेरी प्यारी सखी सहेली, कलम है, ना कोई दूजा है...*रेनू*