जीवन क्या है नाज़ुक शीशा
गिरकर फूट जाना है,
साँसों का बंधन भी रूह से
एक दिन छूट जाना है,
जीवन से जिस्म का रिश्ता,
पल में रूठ जाना है ,
रंगीन ख्वाबों का खज़ाना
एक दिन लूट जाना है,
यही हकीकत यही फ़साना,
छोड़ के एक दिन जाना है,
इस जीवन की परिभाषा का
बस इतना ही अफसाना है,
जीवन उसी ने जीया है
राज़ ये जिसने जाना है,
बीत ना जाये यूँही जीवन
हर पल को आज़माना है.
जीवन क्या है नाज़ुक शीशा
गिरकर फूट जाना है...
No comments:
Post a Comment