Monday 5 December 2011

एक नयी सुबह



सूरज की पहली किरण के साथ
आँख खुलते ही ज्योंहीं
मैंने खिड़की का पर्दा हटाया
देखा सूरज की रोशनी
बादलो को चीरती हुई वृक्ष के बीच से
छन कर मेरे चेहरे पर आ पसरी
एक नयी चमक के साथ
एक नयी उम्मीद के साथ
पूरे कमरे में उजाला कर गई,
मानों किरणों की चादर ने
अंधेरो की खामोशियों को ढक लिया हो जैसे
बीते कल की सारी चिंताओं को खुशियों की चादर ने
अपने भीतर समेट लिया हो,
सारी कायनात एक नयी रोशनी के साथ जगमगा उठी
एक नयी सुबह के नए सफ़र के साथ,
प्रकृति के इस सुन्दर सन्देश के साथ ही
मैं उठी और धन्यवाद दिया उस भगवान को
जिन्होंने प्रकृति के कई रूपों द्वारा
हमें जीवन जीने का सन्देश दिया,
आशाओ की ज़मी और उमंगो का आसमां दिया....
हर नयी सुबह के साथ एक नया पैगाम दिया.

5 comments:

  1. सुबह सुबह का प्यारा व्याख्यान, सुन्दर

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  2. thanx kiran nigunkar ji, neelkamal vaishnav ji...

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  3. अति सुंदर!
    .

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