मोहब्बत की आग में जब जिस्म पिघल जाते है
तो जलने का भी आभास नहीं होता,राख हो जाती है सारी निशानियाँऔर मिटने का भी अहसास नहीं होता....
तो जलने का भी आभास नहीं होता,
राख हो जाती है सारी निशानियाँ
बिलकुल सही बात लिखी है आप ने ,मुहब्बत है ही रिश्ता रूह से रूह काजिस्म के पिघने से ही तो रूह निखरी है
yahi to ek aag hai, jisme jal bhi jate hain aur fafole bhi nahi padte:)
thanx....vinay sharma ji..mukesh sinha ji..
सुन्दर अभिव्यक्ति रेनू जी
Why do not you add your blog address in your bio of twitter. Balwant Jain
thanx ..krishna kumar mishra ji, balwant jain ji..
बिलकुल सही बात लिखी है आप ने ,
ReplyDeleteमुहब्बत है ही रिश्ता रूह से रूह का
जिस्म के पिघने से ही तो रूह निखरी है
yahi to ek aag hai, jisme jal bhi jate hain aur fafole bhi nahi padte:)
ReplyDeletethanx....vinay sharma ji..mukesh sinha ji..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति रेनू जी
ReplyDeleteWhy do not you add your blog address in your bio of twitter. Balwant Jain
ReplyDeletethanx ..krishna kumar mishra ji, balwant jain ji..
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