इंसा स्वयं को आंक ले
अपने भीतर झांक ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
दृष्टि अपनी नाप ले,
सच्चाई को भांप ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
मन की आँखों से काम ले,
सदगुण का दामन थाम ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
नजरो का फेर ये जानले,
अच्छी है दुनियां मानले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
सत्पथ पर पग को मोडले,
न्याय ईश्वर पर छोड़ दे,
तो खुद खुदा बन जायेगा.
रेणु जी
ReplyDeleteनमस्कार !
आज पहली बार आपके यहां आया हूं …
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने , बधाई !
मन की आँखों से काम ले,
सदगुण का दामन थाम ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा !
इंसान को अपने भीतर ही सुधार करना होता है …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
thanx rajendra ji
ReplyDeleteअहा!!
ReplyDeleteकाव्यमय सीख!! उत्तमोत्तम रचना!!
इंसा स्वयं को आंक ले
अपने भीतर झांक ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
दृष्टि अपनी नाप ले,
सच्चाई को भांप ले,
तो खुद खुदा बन जायेगा,
dhanywad sugya ji
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