हमारे देश में नारी को चाहे जितना ऊँचा दर्जा दिया जाए लेकिन ''लावारिश कन्या भ्रूण'' की बढती संख्या ने ये साबित कर दिया है की आज भी कुछ लोग चाहे गरीबी के कारण हो चाहे परिस्थिति के कारण हो अपनी मानसिकता नहीं बदल पाए है, राजस्थान के न्यूज़ पपर में आये दिन ये ख़बर पड़ने को मिल जाती है और इसके पीछे मूल कारण नारी की ही कमज़ोरी है, जब तक एक औरत दूसरी औरत के आत्मरक्षा व आत्मसम्मान के वचन को नहीं निभाएगी तब तक ये घिनौना कार्य थमने का नाम नहीं लेगा, इसीलिए हमें सर्वप्रथम नारी को जागरूक करने की जरुरत है न की पुरूषों को दोषी ठहराने की. बेटी की माँ से खुद को बचाने की गुजारिश के मार्मिक क्षणों से चित्रित है ये कविता..
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माँ तेरी ममता की परीक्षा आज ये बेटी लेती है,
कोख मै है मजबूर है ये पर आज ये तुमसे कहती है.
तेरे जिगर का टुकड़ा हूँ माँ मुझे तुझ पर विश्वास है ,
तू समझेगी मेरी व्यथा बस मुझको पूरी आस है.
चाहे कोई तुझको समझाए या मेरे विरोध में बहकाए,
बंधन ये मजबूत हो इतना की कोई हमको जुदा न कर पाए.
माँ तू माँ है अपनी ममता पर वार न होने देना,
मुझे दुनियां में लाना माँ, ममता को बदनाम न होने देना.
दुनियां को दिखा देना की माँ बेटी का रिश्ता कितना प्यारा है,
सन्देश मिले हर माँ को ये की बेटी सबका सहारा है .
ye sandesh pahunche sab tak , ye kartvay hamara hai.....all the best///
ReplyDeleteBahut sundar anubhuti Renu ji.
ReplyDeleteमाँ तू माँ है अपनी ममता पर वार न होने देना,
ReplyDeleteमुझे दुनियां में लाना माँ, ममता को बदनाम न होने देना.
Bahut sundar... Kanya bhrun hata ruki cahiye..
thanx....
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