किसी को खयालों में लाना अच्छा लगता है,
किसी के ख्वाबों में खो जाना अच्छा लगता है,
सावन की बहारो में तराना अच्छा लगता है,
उमड़ घुमड़ के बदली हो जाना अच्छा लगता है,
सिमट के खुद की बांहों में सो जाना अच्छा लगता है,
किसी का यूँ अपना हो जाना अच्छा लगता है,
तारे गिन-गिन रात बिताना अच्छा लगता है,
चांदनी रातों में खो जाना अच्छा लगता है ,
किसी से मिलन का स्वप्न सजाना अच्छा लगता है
जुदाई की घड़ियों में रो जाना अच्छा लगता है,
किसी की ख़ातिर आँख चुराना अच्छा लगता है,
तन्हा रहना खुद को छुपाना अच्छा लगता है ,
दीदार और इंतज़ार अब अच्छा लगता है ,
किसी के अहसासों से दिल बहलाना अच्छा लगता है,
किसी की दुवाओ में रहना अब अच्छा लगता है ,
सब कुछ खोकर खुद को मिटाना अच्छा लगता है ,
रंगीन कल्पनाओं में समाना अच्छा लगता है,
किसी कवि की कविता हो जाना अच्छा लगता है,
कोरा काग़ज और कलम बन जाना अच्छा लगता है,
दिल के अरमां शब्दों में पिरोना अच्छा लगता है .
आप सा दोस्त कोई गीत पढ़े ,शब्द पिरो पिरो के आगे बढ़े !
ReplyDeleteकाव्य के भाव व शब्द ऋचाओ में खोना अच्छा लगता है !!
बहुत बहुत साधुवाद रेणु जी , बधाई आपको !
राजेश पंड्या "उदयपुर "
हाल मुकाम - जोधपुर
ji danyawad rajesh ji
ReplyDeleteachcha lagta hai ----achcha laga reality jhalkti hai rachna mein wah renuji -----sadar
ReplyDeletedhanywad tapish ji
ReplyDelete