आज़ादी तो मिल गई पर,
फिर भी हम आज़ाद कहाँ?धरती सारी खिल गई पर,
फिर भी हम आबाद कहाँ ,
विज्ञान से दुनियां हिल गई पर,
हो गया बर्बाद जहाँ,
उन्नति की राहें मिल गई पर,
हैवानियत का नाद यहाँ,
जीने को सब जी रहे पर,
मानवता है आज कहाँ,
राजनीती के पलड़े भारी ,
चले अधर्म का राज यहाँ,
कानून है गूंगा बहरा फिर,
कोई करे फ़रियाद कहाँ,
चाँद तारों को छू आये पर,
वतन का अपने मान कहाँ,
देश के खातिर शहीद हुए जों,
उनका भी सम्मान कहाँ।
apne hi log kharab kar rahe ies azadi ko
ReplyDeleteदेश के खातिर शहीद हुए जों,
ReplyDeleteउनका भी सम्मान कहाँ।
यही तो बिडम्बना है ....
Renu...Bahut Sunder Rachna...all the best
ReplyDeleteJASHAN-E-AZAADI MUBARAK HO..........JAI HIND
ReplyDeleteVery Nice .................
ReplyDeleteaap sabhi ko dhanywad...
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