राहें थमी-थमी सी है,
दिल में गमी-गमी सी है,
सब कुछ तो है हर और मगर,
फिर भी कमी-कमी सी है।
जिंदगी रुकी-रुकी सी है,
उम्मीदे झुकी-झुकी सी है,
सब कुछ तो है हर और मगर,
उमंगें थकी-थकी सी है,
आंहे दबी-दबी सी है,
खुशियाँ डूबी-डूबी सी है,
सब कुछ तो है हर और मगर ,
आँखे नमी-नमी सी है,
ग़मगीन हर कली सी है,
वीरान हर गली सी है,
सब कुछ तो है हर और मगर,
रिश्तो में खलबली सी है,
सरगम डरी-डरी सी है ,
धड़कन भरी-भरी सी है,
सब कुछ तो है हर और मगर,
ख्वाहिशें मरी -मरी सी है।
बहुत सुंदर पर इतने गमगीन क्यूं हो दोस्त ।
ReplyDeleteदुनिया भली भली सी है
कलियाँ खिली खिली सी है
तू कोशिस तो करके देख
मंजिल मिली मिली सी है ।
waah asha ji aapne to meri kavita ko apne sundar bhavo se purn kar diya....thanx
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