
एक अजनबी
एक अजनबीएक अजनबी से मुलाकात हो गयी ,
बातों ही बातों में हर बात हो गई,
कुछ उसने कही कुछ हमने कही,
पहचान हमारी कुछ यूँ हो गई ,
अब उसकी यादे भी साथ हो गई,
एक अजनबी से मुलाकात हो गई.....
सिलसिला बातों का ये चलता रहा,
दिल उनके लिए ये मचलता रहा,
अब ख़ास उनकी हर बात हो गई,
एक अजनबी से मुलाकात हो गई....
ना जाने ये कैसी मुलाकात थी,
सबसे जुदा उनमे कुछ बात थी,
आँखों ही आँखों में रात हो गई,
एक अजनबी से मुलाकात हो गई....
हर शाम को सपने सजाते हम ,
उनकी बातों में खुद को भुलाते हम,
इंतज़ार की अब इन्ताहात हो गई,
एक अजनबी से मुलाकात हो गई....
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है रेणू |जी बहुत ही सुन्दर रचना| बधाई और बेहद आभार ।।
ReplyDeleteमेरा सुझाव है कि आप वर्ड वरीफिकेशन को हटा दें तो टिप्पणी में समय कम लगेगा हां, आप मौडरेशन ऑन कर सकतीं है |
ReplyDeleteachhi rachna. sundar bhav abivyakti.
ReplyDeletedhanyawad ji
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